कश्मीर में घुसपैठ और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे पाकिस्तान को जब 2002 में अमेरिका ने लताड़ा था, तो उसने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। अमेरिका ने पाकिस्तान को सीमापार घुसपैठ बंद करने को कहा था। लेकिन पाकिस्तान ने दो टूक जवाब देते हुए कहा था, 'कश्मीर हमारा है। इस मुद्दे पर ज्यादा दबाव न बनाएं।' अमेरिका और पाकिस्तान के हुक्मरान के बीच 9/11 की घटना के बाद हुई बातचीत के खुलासे के बाद यह 'सच' सामने आया है।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय में पॉलिसी प्लानिंग स्टाफ के तत्कालीन निदेशक रिचर्ड हास और पाकिस्तानी सेना के एक अज्ञात अधिकारी के बीच 31 अक्टूबर, 2002 को यह बातचीत हुई थी। अमेरिका-पाकिस्तान सहयोग के मुद्दे पर हुई इस बातचीत का ब्योरा सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान ने अमेरिकी प्रशासन को कश्मीर के बारे में अपने नापाक इरादों के बारे में साफ-साफ बता दिया था।
यह बातचीत 9/11 हमले के करीब एक साल बाद हो रही थी। यह वह दौर था, जब अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को सबसे ज्यादा भरोसेमंद सहयोगी और दोस्त बताता व मानता था। संभवत: इसी का फायदा उठा कर पाकिस्तान ने अमेरिका के सामने कश्मीर को लेकर अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी थी।
गौरतलब है कि कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद एक जमाने में चरम पर था। भारतीय सुरक्षा बलों ने अपने अनेक जांबाजों की शहदात के बाद अब आतंकवाद पर काफी हद तक काबू पा लिया है। पर पिछले कुछ महीनों से अलगाववादी एक बार फिर कश्मीर को हिंसा की आग में झोंकने में कामयाब रहे हैं।
दस्तावेजों के मुताबिक हास ने शीर्ष अधिकारियों को बताया था कि वह भारत के उस ऐलान से खुश हैं जिसमें भारत ने सीमा से सैनिकों का जमावड़ा घटाने की बात कही थी। सैनिकों की सीमा पर तैनाती घटने से हास को लगता था कि पाकिस्तानी संसाधनों का इस्तेमाल अफगानिस्तान की सीमा सटे इलाकों को सील करने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किया जा सकेगा।
हास ने कहा था कि ऐसा लगता है कि भारत रिश्तों को दोबारा जोड़ना चाहता है लेकिन सीमापार से जारी घुसपैठ इस दिशा में बड़ी बाधा है। दस्तावेजों के मुताबिक, हास ने कहा था कि अमेरिका मानता था कि घुसपैठ हो रही है। इसे रोकने से पाकिस्तान के अमेरिका और भारत-दोनों से रिश्ते बेहतर होते। पाकिस्तान के दोस्तों को घुसपैठ के चलते उसकी मदद करने में दिक्कत होती है।
पाकिस्तान के अधिकारियों ने माना था कि कश्मीर के मुद्दे के चलते हमारे रिश्तों पर असर पड़ रहा है। लेकिन कश्मीर पर पाकिस्तान का रुख 'इंसाफ' पर आधारित है। कश्मीर हमारा होना चाहिए था। पाकिस्तानी लोग इस बात के लिए कतई तैयार नहीं होंगे कि लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) को अंतरराष्ट्रीय सीमा बना दिया जाए। मुशर्रफ को कश्मीर बहुत 'महंगा' पड़ा। पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा, 'मुशर्रफ के विरोधियों ने उनकी कश्मीर और अफगानिस्तान के मुद्दे पर खूब खिंचाई की है।'