हमारे सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति सोमवार की रात 2:52 बजे (यानी रात 12 बजे तारीख बदलने पर मंगलवार तड़के) पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा। तब यह धरती से 59.20 करोड़ किमी की दूरी पर होगा। यह इतना चमकदार नजर आएगा कि उससे ज्यादा चमक सिर्फ चंद्रमा की ही होगी।
उस समय वह मीन राशि में होगा। वड़ोदरा के खगोलशास्त्री दिव्यदर्शन पुरोहित ने बताया कि यदि आसमान साफ रहा तो सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक रातभर यह नजारा देखा जा सकेगा।
सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह
सूर्य से दूरी के आधार पर बृहस्पति पांचवां तथा सबसे बड़ा ग्रह है और 11.86 साल में सूर्य का एक चक्कर लगाता है। यह धरती से 11 गुना बड़ा है। इसमें सौर परिवार के अन्य आठ ग्रहों से ढाई गुना ज्यादा गैसें व अन्य पदार्थ है।
इसके केंद्र में छोटा सा चट्टानी गोला है, जिसके चारों ओर मैटेलिक हाइड्रोजन है। यानी ऐसी द्रव हाइड्रोजन गैस जो धातु की तरह काम करती है। इसके चार चांद हैं, जिनमें से एक- यूरोपा की सतह के नीचे समुद्र होने की उम्मीद जताई जाती है। इसका बाहरी आवरण हाइड्रोजन व हीलियम के बादलों से बना है। इसके तेजी से घूमने के कारण बादलों में तूफान उठते हैं। इन तूफानों में एक ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ सतह से आठ किमी ऊपर तक उठा हुआ है। यह धरती से तीन गुना बड़ा है।
ऐसा नजारा जिंदगी में एक बार
वैसे तो बृहस्पति हर 13 महीने में तुलनात्मक रूप से धरती के नजदीक आता है, लेकिन दोनों ग्रहों की घूमने की कक्षा गोल न होने के कारण दोनों के बीच दूरी घटती-बढ़ती रहती है। पिछली बार 1963 में बृहस्पति हमारे इतने नजदीक आया था। सोमवार के बाद आसमान में प्रखरता से चमकते बृहस्पति का नजारा 25 अगस्त 2022 को देखा जा सकेगा।
बोनस में यह भी
सोमवार को वरुण यानी यूरेनस गृह भी धरती के नजदीक होगा। तब यह हमसे 2.74 अरब किमी दूर होगा। हालांकि बृहस्पति से तीन गुना छोटे व पांच गुनी दूरी पर मौजूद इस ग्रह को देखने के लिए दूरबीन जरूरी होगी।
खगोलीय दूरबीन से दिखेगा
बृहस्पति की सतह, इसके चारों ओर मौजूद रिंग।
पृथ्वी से दो गुना बड़ा रेड स्पॉट।
धूमकेतु व लघुग्रहों की गुरु पर हो रही बौछार।
बृहस्पति के चारों चंद्र।
उस समय वह मीन राशि में होगा। वड़ोदरा के खगोलशास्त्री दिव्यदर्शन पुरोहित ने बताया कि यदि आसमान साफ रहा तो सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक रातभर यह नजारा देखा जा सकेगा।
सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह
सूर्य से दूरी के आधार पर बृहस्पति पांचवां तथा सबसे बड़ा ग्रह है और 11.86 साल में सूर्य का एक चक्कर लगाता है। यह धरती से 11 गुना बड़ा है। इसमें सौर परिवार के अन्य आठ ग्रहों से ढाई गुना ज्यादा गैसें व अन्य पदार्थ है।
इसके केंद्र में छोटा सा चट्टानी गोला है, जिसके चारों ओर मैटेलिक हाइड्रोजन है। यानी ऐसी द्रव हाइड्रोजन गैस जो धातु की तरह काम करती है। इसके चार चांद हैं, जिनमें से एक- यूरोपा की सतह के नीचे समुद्र होने की उम्मीद जताई जाती है। इसका बाहरी आवरण हाइड्रोजन व हीलियम के बादलों से बना है। इसके तेजी से घूमने के कारण बादलों में तूफान उठते हैं। इन तूफानों में एक ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ सतह से आठ किमी ऊपर तक उठा हुआ है। यह धरती से तीन गुना बड़ा है।
ऐसा नजारा जिंदगी में एक बार
वैसे तो बृहस्पति हर 13 महीने में तुलनात्मक रूप से धरती के नजदीक आता है, लेकिन दोनों ग्रहों की घूमने की कक्षा गोल न होने के कारण दोनों के बीच दूरी घटती-बढ़ती रहती है। पिछली बार 1963 में बृहस्पति हमारे इतने नजदीक आया था। सोमवार के बाद आसमान में प्रखरता से चमकते बृहस्पति का नजारा 25 अगस्त 2022 को देखा जा सकेगा।
बोनस में यह भी
सोमवार को वरुण यानी यूरेनस गृह भी धरती के नजदीक होगा। तब यह हमसे 2.74 अरब किमी दूर होगा। हालांकि बृहस्पति से तीन गुना छोटे व पांच गुनी दूरी पर मौजूद इस ग्रह को देखने के लिए दूरबीन जरूरी होगी।
खगोलीय दूरबीन से दिखेगा
बृहस्पति की सतह, इसके चारों ओर मौजूद रिंग।
पृथ्वी से दो गुना बड़ा रेड स्पॉट।
धूमकेतु व लघुग्रहों की गुरु पर हो रही बौछार।
बृहस्पति के चारों चंद्र।
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